करवाचौथ व तीज उपवास का महत्व
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करवाचौथ साल में एक बार आता है इस व्रत में महिलाएँ निर्जला व्रत रहती है व शाम को चांद के दर्शन करके अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ती है। करवाचौथ के दिन चतुर्थी माता व गणेश जी की भी पूजा की जाती है।
करवाचौथ व हरियाली तीज कब होता है?
करवाचौथ व तीज उपवास पति की लंबी उम्र के लिए रखते, तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को होता है व करवाचौथ कार्तिक मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी को होता है। करवाचौथ के दिन गणेश, शिव, पार्वती व कार्तिकेय की पूजा के साथ चांद की पूजा की जाती है व हरियाली तीज में पार्वती व महादेव की पूजा करते है व रात भर भजन कीर्तन करते है।
करवाचौथ का उपवास क्या सुहागन बस रखती है?
करवाचौथ व्रत व तीज का उपवास सुहागन अपने पति की लंबी उम्र व मंगलकामना के लिए व्रत रहती है, व कुँवारी स्त्री अच्छे वर के लिए व्रत रखती है, इस व्रत को जीवन भर रख सकते है या फिर 12 वर्ष या 16 वर्ष रखकर, अवधि को पुरा करके उद्यापन करा सकती है।
करवाचौथ पूजन के नियम
- करवाचौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले महिलाएं स्नान करती है, व सास द्वारा दिये भोजन का ग्रहण करके निर्जला उपवास का संकल्प लेती है।
- यह व्रत सूर्यास्त होने तक रहता है जबतक चांद का दीदार न हो जाये तक तक निर्जला रहना पड़ता है।
- चांद के दीदार से पूर्व शिव भगवान के परिवार अर्थात शिव, पार्वती, गणेश व कार्तिकेय आदि की पूजा अर्चना करते है।
- मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओ का स्थापना करती है।
- एक थाली में पूजन सामग्री, नारियल, लोटा में पानी व छलनी को रखते है।
- दिया में पर्याप्त मात्रा में घी रखते है जिससे वह बुझे नही।
- चंद्रमा का छलनी से पूजा करने के बाद चंद्रमा व अपने पति को छलनी ई देखती है व पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़वाता है।
- पूजा घर की साफ सफाई करने के बाद तोरण से सजाती है, औऱ गंगाजल से मिट्टी को भिंगोकर शिवलिंग, गणेश, पार्वती व सखियों का प्रतिमा बनाएं।
- मिट्टी की प्रतिमा बनने के बाद पूजा अर्चना करके षोडशोपचार पूजन करें। महिलाएं अपने सोलह सिंगर किये हुए रहती है।
- हरियाली तीज का पूजन रातभर चलता है रातभर भजन कीर्तन होते रहता है, व दिन में महिलाएँ झूले झुलती है।
- हरियाली तीज में बहुएं अपने सास का पैर छूकर आशीर्वाद लेती है व उन्हें सुहागी देती है।
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